आज हम चर्चा करेंगे राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की संबैधानिक शक्तियों के बारे में तो आइये विस्तार में चर्चा करें।
राष्ट्रपति
भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होती है। वह देश का संबैधानिक प्रधान होता है।
👉 भारत में संसदीय व्यबस्था को अपनाया गया है। अतः राष्ट्रपति नाममात्र को ही कार्यपालिका का प्रधान है , जबकि प्रधानमन्त्री तथा उसके मंत्री परिषद में वास्तविक कार्यपालिका शक्तियां निहित हैं।👉 भारत का राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होता है , जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य भाग लेते है।
👉 राष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित विवादों की छानबीन तथा निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है।
👉 भारतीय संबिधान के अनुच्छेद 61 के तहत राष्ट्रपति द्वारा संबिधान का उलंघन करने पर उसके खिलाफ महाभियोग चलाकर , उसे पदचयुक्त किया जा सकता है।
👉 महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है।
👉 राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने का अधिकार प्राप्त है।
👉 संबिधान द्वारा राष्ट्रपति को देश या उसके किसी हिस्से में आसन्न संकट से निबटने के लिए आपातकालीन शक्तियां दी गई हैं।
2. राज्यों में संबैधानिक तंत्र के विफल होने से उत्पन्न आपातकालीन व्यवस्था - अनुच्छेद 356
3. वित्तीय संकट - अनुच्छेद 360
👉 संबिधान द्वारा राष्ट्रपति को देश या उसके किसी हिस्से में आसन्न संकट से निबटने के लिए आपातकालीन शक्तियां दी गई हैं।
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां -
1. युद्ध , बाहरी आक्रमण या सशत्र विद्रोह की स्थिति से संबंधित आपातकालीन व्यवस्था - अनुच्छेद 3522. राज्यों में संबैधानिक तंत्र के विफल होने से उत्पन्न आपातकालीन व्यवस्था - अनुच्छेद 356
3. वित्तीय संकट - अनुच्छेद 360
महत्वपूर्ण तथ्य
👉 डॉ. राजेंद्र प्रसाद दो कार्यकाल रखने वाले एकमात्र राष्ट्रपति थे।
👉 नीलम संजीव रेड्डी निर्विरोध निर्वाचित होने वाले एकमात्र राष्ट्रपति थे।
👉 वी. वी. गिरी एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे , जिनके निर्वाचन में द्वितीय चक्र की मतगणना करनी पड़ी थी।
👉 वी. वी. गिरी प्रथम कार्यवाहक राष्ट्रपति थे।
👉 राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले सर्वोच्च न्यायालय के एकमात्र मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम. हिदायतुल्ला थे।
👉 श्रीमती प्रतिभा पाटिल देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनी।
उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
👉 उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय प्रणाली द्वारा होता है।
👉 उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है , किन्तु वो स्वेच्छा से त्यागपत्र दे सकता है।
👉 उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सदस्य नहीं होता है , अतः उसे मतदान का अधिकार नहीं होता है। किन्तु राज्यसभा के सभापति के रूप में निर्णायक मत देने का अधिकार उसे प्राप्त है।
👉 राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति उसके स्थान पर कार्य करता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
👉 डॉ. कृष्णकांत एकमात्र उपराष्ट्रपति थे जिनका निधन कार्यकाल के दौरान हुआ था।
मंत्रिपरिषद और प्रधानमन्त्री
मंत्रीपरिषद् में एक प्रधानमन्त्री तथा आबश्यकतानुसार अन्य मंत्री होते हैं।
👉 91 वे संबिधान संसोधन 2003 द्वारा अनुच्छेद 164 में प्रावधान किया गया है , कि केंद्र और राज्य मंत्रिपरिषद की सदस्य संख्या लोकसभा ( केंद्र के लिए ) और विधानसभा ( राज्यों के लिए ) की कुल सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए, परन्तु छोटे राज्यों के लिए न्यूनतम संख्या 12 निर्धारित की गई है।
👉 मंत्रिपरिषद में तीनों श्रेणियों - कैबिनेट मंत्री , राज्यमंत्री और उपमंत्री के मंत्री सम्मिलित होते हैं , लेकिन मंत्रिमंडल में प्रधानमन्त्री और कैबिनेट स्तर के मंत्री शामिल होते हैं।
👉 संसदीय प्रणाली में राष्ट्रपति नव निर्वाचित लोकसभा के बहुमत दल के नेता को प्रधानमन्त्री पद पर नियुक्त करने के लिए बाध्य है।
👉 प्रधानमन्त्री को वही वेतन व भत्ते दिए जाते हैं जो संसद के सदस्यों को प्रदान किये जाते हैं।
👉 प्रधानमन्त्री लोकसभा का नेता होता है , जो राष्ट्रपति तथा मंत्रिमंडल के बीच सम्बन्ध स्थापित करता है।
👉 प्रधानमन्त्री मंत्रिपरिषद का निर्माण विभिन्न मंत्रियों में विभागों का बंटवारा तथा उनके विभागों में आवश्यकतानुसार परिवर्तन भी करता है।
भारत की संसद
भारत की संसद राष्ट्रपति , राज्यसभा तथा लोकसभा से मिलकर बनी है।
संसद के निम्न सदन को लोकसभा तथा उच्च सदन को राज्यसभा कहते हैं।
राज्यसभा
👉 संबिधान के अनुच्छेद 80 के अनुसार राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है , लेकिन वर्तमान में यह संख्या 245 है।
👉 राज्यसभा के 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीति किये जाते हैं।
👉 राज्यसभा एक स्थाई सदन है। यह कभी भंग नहीं होता वल्कि इसके एक - तिहाई सदस्य प्रत्येक दो वर्ष पर अवकाश ग्रहण करते हैं।
👉 राज्यसभा के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।
लोकसभा
👉 लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 552 ( 530 + 20 + 2 ) हो सकती है , वर्तमान में इनकी संख्या 545 है।
👉 लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है , किन्तु प्रधानमन्त्री के परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा को समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है।
👉 लोकसभा सदस्यों द्वारा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का निर्वाचन होता है।
👉 लोकसभा एवं राज्यसभा की दो बैठकों में 6 माह से अधिक का अंतर नहीं चाहिए।
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