मध्यप्रदेश पर्यटन एवं पुरातत्व Mp paryatan gk in hindi

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 सतधारा साँची स्तूप

💧 मध्यप्रदेश का विदिशा जिला अपने साँची के विश्व प्रसिद्ध स्तूपों के लिए तो जाना ही जाता है लेकिन जिले के सतधारा में भी स्तूपों की श्रंखला मौजूद है। 
💧 जिला मुख्यालय विदिशा से 22 और साँची से करीब 14 किमी दूर सलामतपुर के पास सतधारा नदी के पास साँची की तर्ज पर 28 हेक्टेयर क्षेत्र के छोटे - बड़े 30 स्तूपों की श्रंखला फैली हुई है। इसके अलावा यहाँ पर 2 विहार भी हैं। 
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💧 भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से मिली जानकारी के मुताबिक यहाँ बौद्ध हीनयान सम्प्रदाय के स्मारक तथा पुरावशेष 28 हैक्टेयर में फैले हुए हैं। इनमें से एक मुख्य स्तूप है। 29 अन्य स्तूप हैं। 
💧 यहाँ का मुख्य स्तूप साँची के स्तूप से भी बड़ा नज़र आता है। मुख्य स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक के काल ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी का माना जाता है। 
💧 यहाँ खुदाई में मिटटी के पात्रों के टुकड़े भी मिले भी मिले हैं। 

भीमबैठिका की गुफाएं

💧 मध्यप्रदेश की प्राचीनतम गुफाएं भीमबैठिका की हैं, जो पुरापाषाण संस्कृति का उदहारण हैं। 
💧 भीमबैठिका रायसेन में हैं। इसका उत्खनन वाकणकर ने कराया। 
💧 भीमबैठिका की गुफाएं भारत में सबसे प्राचीन संस्कृति ( पुरापाषाण ) का प्रतिनिधित्व करती हैं। 

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💧 भीमबैठिका को यूनेस्को ने विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है। 

आदमगढ़ की गुफाएं

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💧 ये शैलचित्रित गुफाएं होशंगाबाद में स्थित हैं। 

उदयगिरि की गुफाएं

💧 विदिशा जिले में कुल 20 गुफाएं हैं। ये गुफाएं चौथी-पांचवी शताब्दी की हैं। 

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💧 गुफा न. एक और बीस जैन धर्म से संबंधित हैं , जबकि गुफा न. पांच वराह अवतार से संबंधित है। 

भर्तृहरि की गुफाएं

💧 ये गुफाएं उज्जैन में हैं। यहाँ कुल 9 गुफाएं हैं , यह खंडित हो चुकी हैं। 
💧 परमार वंश के शासकों द्वारा 11 वीं शताब्दी में भर्तृहरि के सम्मान में कालियादेह के पास इनका निर्माण कराया गया। इन गुफाओं में रंगीन चित्र हैं। 

बाघ की गुफाएं

💧 धार के पास बाघनी नदी के किनारे बाघ नामक स्थान पर हैं। 
💧 इनकी तुलना अजंता की गुफाओं से की जाती है। 
💧 इनका निर्माण चौथी-पांचवी शताब्दी में गुप्त राजाओं ने करवाया। 
💧 गुफा न. 2 में पांच बौद्धों की मूर्तियां हैं , जिन्हें स्थानीय लोग पांच पांडव मानते हैं। इन्हें बौद्ध चित्र के प्राण तथा रंगमहल भी कहते हैं। 
💧 पांडव गुफाएं पचमढ़ी में हैं। 

मध्यप्रदेश की प्रमुख गुफाएं

मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक दुर्ग

💧 ग्वालियर दुर्ग - इस दुर्ग का निर्माण सूरजसेन द्वारा 8 वीं सदी में कराया। पूर्व का जिब्राल्टर तथा किलों का रत्न कहते हैं। 
इस दुर्ग में 5 दरवाजे हैं - ( 1 ) आलमगीर का दरवाजा ( 2 ) हिंडोला दरवाजा ( 3 ) गूजरी महल दरवाजा ( 4 ) चतुर्भुज दरवाजा ( 5 ) हाथीफोड़ दरवाजा। 
इस दुर्ग में प्रमुख इमारतें - बादल महल , गूजरीमहल , सास-बहू का मंदिर , चतुर्भुज मंदिर , तेली का मंदिर ( सबसे ऊँचा है ) तथा द्रविण शैली में बना है। 
💧 धार का किला - इसका निर्माण मोहम्मद बिन तुगलक द्वारा 1344 में ( दक्षिण विजय के दौरान ) कराया गया।
इसमें प्रमुख महल - खरबूजा महल , देवी कालका का मंदिर , अब्दुल्ला शाह , चांगल का मकबरा। 
💧 असीरगढ़ का किला ( बुरहानपुर ) - इसे दक्षिण का प्रवेश द्वार कहते हैं। इस किले का निर्माण आशा नामक एक अहीर राजा ने करवाया। 
चंदेरी का किला ( अशोकनगर में ) - बेतवा नदी के किनारे। इसका निर्माण प्रतिहार राजा कीर्तिपाल ने 11 वीं सदी में करवाया।
💧 जौहरकुण्ड - नौखण्डा महल , हवा  महल।  इसमें बाबर के आक्रमण पर 800 राजपूत रानियों ने जौहर किया था। 
💧 रायसेन का दुर्ग - यह कुए एवं बाबड़ी के लिए प्रसिद्ध है। 
💧 मंदसौर का किला - यह सिवना नदी के किनारे स्थित है। इसे अलाउद्दीन खिलजी ने बनवाया। 
💧 नरवर का किला - यह शिवपुरी में है। यह राजा "नल" और "दमयंती" की प्रणय कथा के लिए प्रसिद्ध है। 

मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक दुर्ग/किले

प्रमुख समाधि/मजारे/मकबरे

मध्यप्रदेश के प्रमुख महल

मध्यप्रदेश के प्रमुख दर्शनीय स्थल

पुरातात्विक स्थल

💧 कायथा - काली सिंध नदी के किनारे का यह स्थल ताम्रपाषाणयुगीन सभ्यता के प्रमाण प्राप्ति का मुख्य स्थल है। इसे वराहमिहिर की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है। यह सिंधु सभ्यता का भाग है। 
💧 आदमगढ़ - यहाँ से पाषाणकालीन सभ्यता के सबसे प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। 
💧 नागदा - उज्जैन के निकट चम्बल नदी के किनारे बसे इस स्थल से ताम्रपाषाणयुगीन सभ्यता के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। 
💧 नावदा टोली - खरगौन के महेश्वर में। 
💧 एरण - सागर जिले के एरण से ताम्र पाषाणकालीन सभ्यता के साथ ही भारत में सती प्रथा के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। 
💧 भीमबैठिका - यहाँ पांडवकालीन गुफाएं प्राप्त हुयी हैं। यह रायसेन में स्थित हैं। 

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